जैविक खेती क्या है
जैविक खेती क्या है।
जैविक खेती एक ऐसी खेती है जिसमें रासायनिक खाद एवं रासायनिक कीटनाशक का इस्तेमाल ना करके फसल चक्र और प्राकृतिक अवशेष जैसे की पशुओ के गोबर एवं वनस्पति का उपयोग कर खेती की जाती है। ऐसी खाद का इस्तेमाल किया जाता है जिससे वातावरण दूषित नहीं हो। कीटनाशक इस प्रकार के हो जो पृथिवी, आकाश और जीव को नुकसान ना देते हो।
जैविक खेती में सूक्ष्म जीवाणु का महत्व
सूक्ष्म जीवाणु को अंग्रेज़ी में micro organism ( मायक्रो ओर्गानिस्म ) कहते है। ये जीवाणु अति सूक्ष्म होने के कारण आँखो से दिखायी नहीं देते इन्हें देखने के लिए microscope का इस्तेमाल किया जाता है। हमारी मिट्टी में असंख्य सूक्ष्म जीवाणु है। वैज्ञानिक मिट्टी से मित्र जीवाणुओ को अलग कर सुरक्षित रख लेते है। इनका इस्तेमाल पौधों पर इस्प्रे करके या मिट्टी में डाल कर जुताई करके जैविक खेती की जाती है।
जैविक खेती का इतिहास
जैविक खेती भारत देश के लिए कोई नयी बात नहीं है। सदियों से भारत में इस प्रकार की खेती की जाती रही है। हमारे पुरखो ने यानी हमारे महाऋषियो ने वेदिक काल से ही खोज कर के वनस्पतियों और जड़ी बूटी का ज्ञान एकत्रित कर हमें वेदों में दिया है। जब से हमने वेदो को पढ़ना कम किया है तब से हम प्राकृतिक खेती से दूर हो गये। अपनी देसी गायों का संवर्धन कर और प्राचीन वेदिक ज्ञान का इस्तेमाल करके हम फिर से जैविक खेती की और लोट सकते है।
जैविक खेती में गाय का महत्व
गाय ही एक एसा जीव है जो खेती और मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण है। बिना गाय के जैविक खेती हो ही नहीं सकती। जैविक खाद और जैविक कीटनाशक बिना गाय के बन ही नहीं सकते। जिस प्रकार माँ अपने बच्चे का पालन पोषण करती है उसी प्रकार गाय भी मनुष्य और खेती का पोषण करती है। गाय का गोबर ,गोमूत्र, दूध ,सींग और हर एक चीज़ जो गाय से प्राप्त होती है उनका प्रयोग कर जैविक खेती की जाती है। जिस खेत में गाय चरती व बैठती है उस खेत में फसल अधिक होती है क्योंकि गाय का पसीना भी अनेक रोगों को दूर करता है।
जैविक खेती में हरी खाद का इस्तेमाल किया जाता है।
जैविक खेती में सूक्ष्म जीवाणु का महत्व
सूक्ष्म जीवाणु को अंग्रेज़ी में micro organism ( मायक्रो ओर्गानिस्म ) कहते है। ये जीवाणु अति सूक्ष्म होने के कारण आँखो से दिखायी नहीं देते इन्हें देखने के लिए microscope का इस्तेमाल किया जाता है। हमारी मिट्टी में असंख्य सूक्ष्म जीवाणु है। वैज्ञानिक मिट्टी से मित्र जीवाणुओ को अलग कर सुरक्षित रख लेते है। इनका इस्तेमाल पौधों पर इस्प्रे करके या मिट्टी में डाल कर जुताई करके जैविक खेती की जाती है।
जैविक खेती का इतिहास
जैविक खेती भारत देश के लिए कोई नयी बात नहीं है। सदियों से भारत में इस प्रकार की खेती की जाती रही है। हमारे पुरखो ने यानी हमारे महाऋषियो ने वेदिक काल से ही खोज कर के वनस्पतियों और जड़ी बूटी का ज्ञान एकत्रित कर हमें वेदों में दिया है। जब से हमने वेदो को पढ़ना कम किया है तब से हम प्राकृतिक खेती से दूर हो गये। अपनी देसी गायों का संवर्धन कर और प्राचीन वेदिक ज्ञान का इस्तेमाल करके हम फिर से जैविक खेती की और लोट सकते है।
जैविक खेती में गाय का महत्व
गाय ही एक एसा जीव है जो खेती और मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण है। बिना गाय के जैविक खेती हो ही नहीं सकती। जैविक खाद और जैविक कीटनाशक बिना गाय के बन ही नहीं सकते। जिस प्रकार माँ अपने बच्चे का पालन पोषण करती है उसी प्रकार गाय भी मनुष्य और खेती का पोषण करती है। गाय का गोबर ,गोमूत्र, दूध ,सींग और हर एक चीज़ जो गाय से प्राप्त होती है उनका प्रयोग कर जैविक खेती की जाती है। जिस खेत में गाय चरती व बैठती है उस खेत में फसल अधिक होती है क्योंकि गाय का पसीना भी अनेक रोगों को दूर करता है।
जैविक खेती में हरी खाद का इस्तेमाल किया जाता है।
Thanks For sharing this information with us
ReplyDeletehttps://sattvicfoods.in/
I just want to say that all the information you have given here is awesome...great and nice blog thanks sharing..Thank you very much for this one. And i hope this will be useful for many people.. and i am waiting for your next post keep on updating these kinds of knowledgeable things.
ReplyDeleteAir Blast Orchard Sprayers